कुतबुद्दीन ऐबक को अब ऊपर से नीचे देख पाने के लिए चश्मे की जरूरत पड़ती इतनी ऊँचाई से गिर कर चश्मा टूट जाता।
हिंदी समय में उदय प्रकाश की रचनाएँ
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कविताएँ